Bible

Elevate

Your Sunday Morning Worship Service

Try RisenMedia.io Today!

Click Here

2 John 1

:
Hindi - HINOVBSI
1 मुझ प्राचीन की ओर से उस चुनी हुई महिला और उसके बच्‍चों के नाम, जिनसे मैं सच्‍चा प्रेम रखता हूँ, और केवल मैं ही नहीं वरन् वे सब भी प्रेम रखते हैं जो सत्य को जानते हैं;
2 वह सत्य जो हम में स्थिर रहता है, और सर्वदा हमारे साथ अटल रहेगा;
3 परमेश्‍वर पिता, और पिता के पुत्र यीशु मसीह की ओर से अनुग्रह और दया और शान्ति, सत्य और प्रेम सहित हमारे साथ रहेंगे।
4 मैं बहुत आनन्दित हुआ कि मैं ने तेरे कुछ बच्‍चों को उस आज्ञा के अनुसार, जो हमें पिता की ओर से मिली थी, सत्य पर चलते हुए पाया।
5 अब हे महिला, मैं तुझे कोई नई आज्ञा नहीं, पर वही जो आरम्भ से हमारे पास है, लिखता हूँ; और तुझ से विनती करता हूँ कि हम एक दूसरे से प्रेम रखें।
6 और प्रेम यह है कि हम उसकी आज्ञाओं के अनुसार चलें; यह वही आज्ञा है जो तुम ने आरम्भ से सुनी है, और तुम्हें इस पर चलना भी चाहिए।
7 क्योंकि बहुत से ऐसे भरमानेवाले जगत में निकल आए हैं, जो यह नहीं मानते कि यीशु मसीह शरीर में होकर आया; भरमानेवाला और मसीह–विरोधी यही है।
8 अपने विषय में चौकस रहो, कि जो परिश्रम हम ने किया है उसको तुम गवाँ दो, वरन् उसका पूरा प्रतिफल पाओ।
9 जो कोई मसीह की शिक्षा से आगे बढ़ जाता है और उसमें बना नहीं रहता, उसके पास परमेश्‍वर नहीं; जो कोई उसकी शिक्षा में स्थिर रहता है, उसके पास पिता भी है और पुत्र भी।
10 यदि कोई तुम्हारे पास आए और यही शिक्षा दे, उसे तो घर में आने दो और नमस्कार करो।
11 क्योंकि जो कोई ऐसे जन को नमस्कार करता है, वह उसके बुरे कामों में साझी होता है।
12 मुझे बहुत सी बातें तुम्हें लिखनी हैं, पर कागज और स्याही से लिखना नहीं चाहता, पर आशा है कि मैं तुम्हारे पास आऊँगा और आमने–सामने बातचीत करूँगा, जिस से तुम्हारा आनन्द पूरा हो।
13 तेरी चुनी हुई बहिन के बच्‍चे तुझे नमस्कार कहते हैं।